अलविदा मेरे जिगरी यार
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अलविदा मेरे जिगरी यार 🫂💫 |
आज हमारी दोस्ती को पूरे 9 साल हो गए 9 साल 108 महीने 282,268,800 सेकेंड 4,704,480 मिनट 78,408 घंटे 3267 दिन 466 हफ्ते. मैं बात कर रहा हूँ मेरा प्रिय दोस्त मेरा सबसे अच्छा दोस्त यू कह लो मेरी जान मेरा भाई मेरा सबसे प्रिय दोस्त विवेक। |
ऐसे तो मैं उसे जानता नहीं था मेरी उसकी जान पहचान मेरे स्कूल समय में हुई थी जब मैं 10th क्लास में था. स्कूल तो हम दोनों का अलग - अलग था लेकिन कोचिंग दोनो साथ में पढ़ते थे जादा बात करना तो मुझे पसंद नहीं था. लेकिन रोज थोड़ी बहुत बात होती थी. और धीरे धीरे जाड़ा बात होने लगी घर आना जाना होने लगा कभी वो मेरे घर चला आता तो कभी मैं उसके घर चला जाता. मैं जब भी उसके घर जाता तो मुझे बहुत अच्छा लगता उसके घर में सब बात करने वाले थे।
हम लोगो की दोस्ती 2k16 के Mid End में हुई थी मैं बहुत सीधा था और मेरा कोई अच्छा दोस्त भी नहीं था इसलिये मुझे इसकी दोस्ती बहुत अच्छी लगती थी मैं अपना ज्यादातर समय इसी के साथ बिताता था वैसे तो विवेक रहता. तो गाँव में था विवेक का गांव शायद जहां रहता था वहां से 3 घण्टे के सफर के बाद विवेक का गांव आता था काफी अच्छा इसान था हमेशा खुश रहता था बहुत ही रेयर कान्डिशन में दुःखी होता था ।
विवेक के पिता जी बहुत ही सीधे और अच्छे विचार के आदमी थे अपने परिवार में विवेक ही घर पर सबसे बड़ा था इसलियों परिवार की सारी जिम्मेदारी इसी पर थी परिवार में विवेक से भी छोटा एक भाई था फिर इससे भी छोटा एक भाई फिर उससे छोटा एक भाई उससे छोटा एक भाई पांच भाई मम्मी पापा 7 लोगो का परिवार है इनके पिता जी यही पर अपना काम करते थे भगवान की कृपा से विवेक के पिता जी काम बहुत अच्छा चलता विवेक की मम्मी घर का काम देखती ये ओर इसके भाई पढ़ाई करते।
मेरी दोस्ती हुई और कब अच्छे दोस्त बन गये पता ही नहीं चला मै घर जाता रहता था तो इसकी मम्मी भाई सब जानने लगे थे कि दोस्त है भाई का मुझे बडे भाई की तरह मानते थे अधिक से अधिक साथ मे रहते थे कोचिग साथ में पढ़ते थे इसलिए रोज मंदिर भी जाया करते थे और कभी कभी साथ में बैठा भी करते थे वो मुझसे हर बात बताता। किसी भी तरह की बात होती हमसे जरूर शेयर करता कभी - कभी मुझे अपने पिताजी की दुकान लेके जाता था वहीं दुकान में बैठ कर बातचीत होती रहती घंटों दुकान में बैठे रहते थे विवेक दिल का बहुत अच्छा इंसान था हमेशा मुझे सपोर्ट करता था थोड़ी सी भी बात होती मुझसे शेयर करता।
घर पर वो सबसे बड़ा था इसलिये घर परिवार की सारी जिम्मेदारी इसी पर थी घर का राशन गैस, और भी रोजमर्रा की चीजो के लिये विवेक को ही याद किया जाता था हम लोगो का स्कूल कॉलेज अलग अलग था लेकिन हम लोग कोचिंग एक साथ आते थे हम लोगों ने 10th की कोचिंग साथ में की 11th की कोचिग एक साथ की 12th क्लास की पढ़ाई एक साथ की साथ में कोचिंग किया लेकिन किसी कारणवश वो पास हो गया और मैं फेल हो गया दोनों ने मैथ सब्जेक्ट से ही किया था मैथ में उसने अलग से कोचिग की थी वो मैथ मे अच्छे मार्क लाकर पास हो गया था मेरे बाकि विषय मे अच्छे मार्क थे मैथ में ठीक नहीं थे उसके मैथ में अच्छे मार्क थे बाकी विषय में पासिंग मार्क थे।
12th क्लास में फैल होने के बाद मेरा एक साल पीछे हो गया था रिजल्ट आने के 1 महीने बाद मैं उसके पास गया और कहने लगा विवेक भाई मेरा कुछ देख लो यार कुछ हो जाए जिससे ये साल बर्बाद ना हो थोड़ी देर उसने सोचा फिर कहने लगा भाई तुम मेरे साथ चलो कॉलेज उसने अपनी साइकिल निकाली और हम लोग कॉलेज के लिए निकल गए, कालेज पहुंच कर मैने अपने सर से बात करी कहा कि सर ऐसी ऐसी बात है कुछ हो जाए तो देख लो उन्होंने कहा बेटा एक काम करो स्कूटनी करा लो 1 हजार 2 हजार रुपए लगेगे मैने कहा ठीक है करा दीजिए थोड़ी देर वो सोच कर बोले बेटा तुम स्कूटनी मत कराओ वो लोग तुम्हारी कॉपी चेक करेंगे अगर उनकी गलती हुई होगी कॉपी चेक करने में तो ठीक यह तुमने कोई गलती की होगी ये सब करने के बाद भी तुम्हारे केवल 1 या 2 नंबर ही बढ़ पाएंगे और उससे कोई फायदा होगा नहीं तुम्हारे ये 2 हजार रुपए भी बेकार हो जायेगे कोई फायदा नहीं मिलेगा तुम्हे ।
गलती तो मेरी बहुत बड़ी थी मैं खुद की वजह से ही फेल हुआ था मैने जानबूझकर वहीं विषय लिया जो बहुत कठिन था मेरा एक साल पूरी तरह बर्बाद हो चुका था विवेक ने अपनी साइकिल निकाली और बोला भाई चलो अब कुछ नहीं हो सकता मैने भी उम्मीद छोड़ दी थी कि अब कुछ हो सकता है पूरा साल बर्बाद चुका था कोई रास्ता नहीं बचा था मेरे पास विवेक साइकिल चला रहा था और मैं पीछे बैठकर रो रहा था वो मुझे पूरे रास्ते समझाते हुए आ रहा था, "अबे रो क्यों रहे हों टोपा हो क्या नहीं हुआ इस साल तो क्या हुआ तुम अगले साल फॉर्म डाल देना हो जाएगा परेशान नह हो अगले साल अच्छे से मेहनत करना" 2k20 में मेरा इण्टर हुआ नहीं 2k21 में मैने अपना 12th किया और अच्छे मार्क से पास भी हुआ ।
जैसे ही हम दोनों का 12th Standard हुआ हम दोनों का मिलना बहुत कम हो गया 12th Standard के बाद उसने आगे करने का कुछ सोचा नहीं मैने 12th तक ही पढ़ाई की उसके बाद मैने भी कुछ आगे करने का सोचा नहीं मैने Academic Skill कर लिया और वो पिताजी की दुकान में बैठने लगा और गाड़ी का काम सीखने लगा कुछ टाइम बाद जहां उसके पिताजी की दुकान थी वहां कमरा मिल रहा था पास का पास था और दुकान आना जाना भी पास था वहीं पर उन्होंने कमरा लेने का फैसला कर लिया ।
एक दिन वो मेरे पास आया और कहने लगा भाई हम लोग यहां से कमरा खाली करके जहां पिताजी की दुकान है वहां शिफ्ट होने जा रहे है मैने उससे कहा भाई यही रहो यहां रहते होतो मैं भी रोज आ जाया करता हु वहा उतनी दूर रहोगे तो कहा आना जाना हो पायेगा थोड़ी देर चुप रहा फिर कहने लगा भाई हम तो नहीं चाह रहे है वहां शिफ्ट होना लेकिन मम्मी पापा का कहना है यहां से रूम खाली करके वहां शिफ्ट होना जाड़ा बेहतर है मेरे पास उसे रोकने और कहने के लिए कोई शब्द ही नहीं रह गए थे जब उसकी मम्मी पापा का मन था वहां शिफ्ट होने का इसलिए मैने जाड़ा बात नहीं कही ये बात होने के 1 महीने में ही वो लोग वहां शिफ्ट हो गए फिर तो हम लोग का मिलना जुलना बहुत कम हो गया था बस कॉल पर कभी कभी बात हो जाती इसके जाने के बाद मैं बहुत अकेला हो गया था घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर भी इसलिए मुझे नोकरी भी करनी पड़ी मै इधर अपनी नोकरी में लग गया और वो उधर अपने काम में लग गया बात करने का नह मुझे समय मिलता था और नह उसे समय मिलता था ।
एक दिन मेरी मम्मी पापा गांव गए हुए थे 2 दिन तक तब वो मेरे घर में रुका था रात में वो मेरे घर आ जाता था और सुबह चला जाता था वो 2 दिनों में हम लोग साथ में खाना खाकर थोड़ी देर बात करके सो जाते थे वो 2 दिन मुझे अभी भी याद है जब वो मेरे घर पर रुका था वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त था यहां तक मैने उसका मोबाइल नंबर उसके नाम से नहीं सेव किया मेरा वो सबसे अच्छा दोस्त था इसलिए उसके मोबाइल नंबर दोस्त नाम से सेव किया हुआ था हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत कुछ किया करते थे कभी कभी हम दोनों की लड़ाई हो जाती तो कभी वो मुझे मना लेता कभी मैं उसे मना लेता बस इस तरह हम दोनों की दोस्ती हमेशा जिंदा रहती थी।
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अलविदा मेरे जिगरी यार |
मुझे अभी भी याद है उसने मेरी वजह से अपना पहला एंड्रॉयड मोबाइल लिया था उस समय उस मूमेंट में जो उसकी खुशी थी वो आउट ऑफ इमोशंस थी अफसोस उस समय उसकी खुशी को मै कैप्चर नहीं कर पाया हम दोनों एक ही उम्र के थे लेकिन वो मुझे बड़ा मानता था और मैं उसे बड़ा मानता था ।
जब उसने फोन लिया तब हम लोग की बाते 2 घंटे तक होने लगी बात रोज तो नहीं होती थी लेकिन जब भी होती थी 2 घंटे से कम नहीं होती थी मुलाकात हो नहीं पाती थी महीने 2 महीने में एक बार मिलना हो जाया करता था उसके घर जाने का मतलब होता था 4 से 5 घंटे रुकना उसकी मम्मी मुझे अपने बेटे की तरह मानती थी अपने बच्चे की तरह ख्याल रखती थी मैं उसके घर जाकर कभी सो जाता कभी बैठकर बाते करता T.V देखता कुछ नह कुछ करता रहता क्योंकि उसके घर जाकर चुपचाप से बैठना मुझसे हो ही नहीं पाता था कभी कभी हम लोग साथ में शूज.कपड़े ले लिया करते थे उसकी एक आदत बहुत अच्छी थी कुछ भी बात होती तो मुझे जरूर बताता चाहे घर की बात हो या चाहे बाहर की बात होती ।
फिर आया साल 2024 अब वो अपनी दुनिया में खो गया और मैं अपनी दुनिया में दुनिया से मेरा मतलब अब नः उसके पास समय रहता ओर ना मेरे पास समय रहता पूरे घर की जिम्मेदारी दोनों के ऊपर थी उसके ऊपर उसके घर की ओर मेरे ऊपर मेरे घर की महीने 4 महीने में कॉल आया भी तो न वो बात कर सक! ओर ना मैं कॉल उठा पाया परिवार की जिम्मेदारी काम का बोझ करियर की टेंशन इन सब में इतना खो गए कि मुझे बात करने का समय ही नहीं मिल पाता सुबह घर से निकल जाना और रात में घर आना इतना थक जाते थे कि कुछ करने का मन ही नहीं होता इस टाइम हम लोग का मिल पाना लगभग ना के बराबर ही था 2024 की दिवाली के बाद उसका कॉल आया था 1Nov 2024 दोपहर 2 बजे थोड़ी देर बात हुई थी बोल रहा था गांव आया हु यार छुट्टी का आनंद ले रहा हूं ।
1Nov 2024 के बाद उसका कॉल नहीं आया मैने बात करने की कॉल करने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं ना मेरा कॉल उठा पाया और ना बात हो पाई ।
31Dec 2024 की रात में 8 बजे के आस पास उसका कॉल आया लेकिन किसी कारणवश मैं उसका कॉल नहीं उठा पाया और हम दोनों की बात नहीं हो पाई ।
फिर आया साल 2025 नया साल नया दिन नई उम्मीद नए सपने सब कुछ नया मुझे लग रहा था कि उसका कॉल आयेगा मेरी बात होगी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं उसका कॉल आया नहीं मैने भी कॉल किया नहीं कि उसने कॉल नहीं किया तो मैं क्यों करूं ।
8jan 2025 रात के 8: 30 बजे उसके छोटे भाई का कॉल आया मै अपने मामा के घर आया हुआ था इसलिए मैने कॉल नहीं उठाया फिर थोड़ी देर बाद उसके छोटे भाई का मैसेज आया ।
Urgent hai call me
Vivek Ki Tabiyat Bahot Kharab hai
Vo Serious hai
Vivek ki Dimak ki Nas Fat Gyi Hai
Kyoki Bachne ke chance Bahut Kam
Kaise Hua Ye sab yaar
Dimak Ki Nas Fat gyi hai
Mai Call Karta hu Bhai
मैने बाहर निकल कर उसके भाई को कॉल किया तो पता चला 6jan2025 दिन सोमवार रात में वो काम करके घर आया हाथ पैर धोकर अपना फोन उठाकर अपने बिस्तर के पास जा ही रहा था कि अचानक गिर गया और आधा शरीर जोर जोर से हिलने लगा और एक तरफ की शरीर में लकवा मार गया Paralysis मार गया थोड़ी देर बाद वो बेहोश हो गया फौरन पास के ही हॉस्पिटल ले जाया गया हॉस्पिटल जाकर पता चला दिमाक कि नस फट गई है जिससे दिमाक काम नहीं कर रहा है प्राइवेट हॉस्पिटल के सभी डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया और बताया कि बचने की उम्मीद बहुत कम है लेकिन उसके घर वाले उसको बचाने की उम्मीद में लगे थे कि किसी तरह वो बच जाए वो भी क्या कर सकते थे 2 दिन प्राइवेट हॉस्पिटल में रखने के बाद उसे कुछ फायदा नहीं हुआ ये सब जब उसके भाई ने मुझे बताया तो मुझे बहुत अफसोस हुआ लेकिन मैं भी क्या कर सकता था प्राइवेट हॉस्पिटल में फायदा नहीं हो रहा था और पैसा भी बहुत लग रहा था इसलिए उसे एक सरकारी हॉस्पिटल में शिप्ट करना पड़ा मुझे ये सब 8jan2025 को पता चला मैने तुरत टिकट कराकर अपने घर आया
थोड़ी देर रुककर उसे देखने के लिए घर से निकल गया उसके बारे में ये सब सुनकर मेरा दिमाक काम नहीं कर रहा था जिसकी वजह से मैं गलत हॉस्पिटल में चला गया और 2 घंटे तक भटकता रहा लेकिन मुझे ना उसका वार्ड मिला ना उसका कॉल 2 घंटे परेशान होने के बाद फाइनली उसके भाई ने मुझे गाइड किया तब जाकर मैं हॉस्पिटल पहुंच पाया रात 8:47 मिनट पर मै हॉस्पिटल के अंदर मै इंटर हुआ जिस हॉस्पिटल में उसको शिप्ट किया हुआ था वो हॉस्पिटल बहुत ही बेकार था क्योंकि जैसे ही मैं इंटर हुआ हॉस्पिटल में वो हॉस्पिटल कम ओर भूतिया हॉस्पिटल जाड़ा लग रहा था चारों तरफ एकदम सन्नाटा दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था वहां पर सुनाई दे रही थी तो केवल एक चीज मेरे शूज की आवाज ही मुझे सुनाई दे रही थी मुझे जाना था वार्ड नंबर 10 और बेड नंबर 12 थोड़ी देर बाद मैं पहुंच गया जैसे ही मेरी नजर उस पर पड़ी मेरा दिल बैठ गया माइंड में सब ब्लैंक दिल की धड़कने तेज दिमाक में जो पहला विचार आया हाय ये मेरे दोस्त को क्या हो गया जब मैने उसको उस हालत में देखा उस समय उस मूमेंट में मेरा दिल रो रहा था जब मैने उसको सामने देखा तो एक साइड का हिस्सा मूमेंट नहीं कर रहा था Paralysis मार गया था और ब्रेन हैमरेज भी था उसकी बॉडी में कुछ बचा नहीं था सूखकर एकदम बेकार हो गया था नली पड़ी थी जिससे लिक्विड दिया जा रहा था ग्लूगोस चढ़ रहा था मेरी नजर उससे हट ही नहीं रही थी बस उसे ही देखता जा रहा था
हाये मेरा दोस्त ये क्या हो गया।
मै वहा से घर आकर बस उसके बारे में सोचता रहा क्यों,कब, कैसे, ये तीन सवाल मुझे उसके बारे में सोचने पर मजबूर कर रहे थे दिमाक में और कोई विचार नहीं चल रहा था बस तीन सवाल क्यों,कब,कैसे मुझे इन सवाल के जवाब पाने थे मैने कभी भी नहीं सोचा था कि ये सब उसके साथ कभी होगा उसे इस Condition में देखूंगा मै कर भी क्या सकता था अगर मेरे हाथ में होता तो शायद उसके साथ कभी ऐसा नहीं होता उसे कभी ये दिन नहीं देखने देता।
11jan2025 मै उसे देखकर आया ही था एक दिन भी नहीं बीता 11 जनवरी दिन शनिवार रात 2.51 मिनट पर उसके भाई का कॉल आया 3 बार उनके पापा का 2 बार कॉल आया विवेक के नंबर से भी 2 बार कॉल आया लेकिन मैं नहीं उठा सका फोन Slient पर था जिसकी वजह से मुझे अहसास नहीं हुआ कि किसी का फोन आ रहा इसलिए मैं कॉल नहीं उठा पाया लेकिन उस रात मुझे नीद नहीं आ रही थी 3 से 4 बार मेरी नीद अचानक खुली लेकिन मेरा ध्यान फोन की तरफ गया ही नहीं सबसे बड़ा अफसोस मैने फोन चेक नहीं किया शायद उस रात उसकी 2.30Am पर Death हो गई थी उस रात वो भगवान को प्यारा हो गया था।
वो मुझे छोड़कर चला गया था 11Jan 2025 उसकी जिंदगी की आखिरी रात थी मुझे ये अफसोस मेरा फोन Slient था और दुख इस बात का मेरी नीद खुलने के बाद भी मैने अपना फोन नहीं देखा शायद उसे याद था मैने उससे एक बार कहा था कि कभी भी मेरी जरूरत होतो मुझे रात में भी कॉल करोगे तुम्हारा भाई जरूर आयेगा। और इसलिए वो मुझे जगाने आया था "कि भाई मुझे तुम्हारी जरूरत है I need You Please Pickup The call" लास्ट समय में भी उसने मुझे 3 बार आवाज दी लेकिन लास्ट समय में मैं अपनी दोस्ती नहीं निभा पाया जिसको जिगरी दोस्त कहता था जिससे घंटों बात करता था उसे खो दिया। उसे बहुत उम्मीद थी कि कोई आए या नः आये लेकिन मेरा भाई जरूर आयेगा मैं वो एक उम्मीद नहीं बन पाया।
तो जानकारी मिली कि वो लोग गांव चले गए है और वहीं पर उसका काम होगा
मेरी जिदगी का सबसे किमती इंसान चला गया।
वो मेरा ही था जो मुझे छोड़कर चला गया।
मुझसे जो भी भूल चुक हुई मुझे माफ करना
मेरे जिगरी यार आखिरी समय में भी
मैं तुम्हारा साथ नहीं दे पाया
मेरे दोस्त के गुजर जाने के कुछ दिनों के बाद मुझे उसकी याद सताती रही मैने उसके साथ बहुत समय बिताया काफी वक्त बिताया था मुझे जो लग रहा था और जो मेरे सवाल थे क्यों, कब, कैसे, मेरी जो Thinking कह रही थी उसको किसी बात की टेंशन थी और बहुत बड़ी उलझन भरी टेंशन वो मुझे बताना चाहता था लेकिन कुछ कारणों से वो मुझे कॉल नहीं कर पाया और जब मैने कॉल किया तब वो कॉल उठा नहीं पाया उसे परेशानी थी टेंशन थी लेकिन मुझे बता नहीं पाया उसके साथ वो राज भी राज ही रह गया मैने कभी नहीं सोचा था कि मेरे साथ कभी ऐसा होगा एक जिगरी यार बन पाया लेकिन वो भी एक समय के बाद चला गया उसके साथ बिताए गए कुछ खूबसूरत पल केवल याद ही बन गए है
दुनिया छोड़कर जाने वाले नहीं और ना वापस आते है
मेरा मानना है कि जो भी आपके पास है उसकी कदर करो कब क्या हो जाए किसी को कुछ नहीं पता जब तक लोग होते है तब तक इंसान को कदर नहीं होती है जब इंसान चला जाता है तब उसकी कदर होती है ।।
मेरे सबसे प्रिय
उसके साथ बिताए गए कुछ हसीन पल उसके साथ बिताया गया समय उसकी बाते, उसकी गालियां, उसका गुस्सा, उसका प्यार. सब कुछ चला गया. मेरा भाई था क्या हुआ गाली देकर बात करता था अपना भाई तो मानता था
बहुत शुक्रिया मेरे दोस्त मेरे भाई तुमने जिंदगी का सबसे खूबसूरत लेशन सिखाया thanks यारा तुम मेरे दिल में हमेशा एक अच्छे दोस्त की तरह जिंदा रहोगे ।
अलविदा मेरे दोस्त जहां भी रहना हमेशा खुश रहना तुम्हारे लिए दुआ करेंगे
मेरी उससे जो दोस्ती थी वो किसी से नहीं थी जितना जरूरी और Important वो मेरे लिए था उस चीज को मैने उससे कभी जाहिर नहीं की नः उससे कभी बताया कि वो मेरे लिए कितना जरूरी था शायद उसे पता चल जाता तो उसे घमंड हो जाता लेकिन मेरी जो दोस्ती यारी उससे थी वो किसी से नहीं हुई और सबसे अच्छी बात ये है कि वो हीरा था।। मेरा भाई मेरी जान था वो मेरा पक्का यार था मेरी जिंदगी का सबसे कीमती यार चला गया मेरा हीरा चला गया समय बहुत जड़ा बिताया था उसके साथ कुछ फोटो जो मैने उसके साथ की थी
जिंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो खास होते हैं, लेकिन कभी-कभी हम उनकी कदर उस वक्त नहीं कर पाते जब वे हमारे साथ होते हैं। जब वे चले जाते हैं, तब हमें उनकी अहमियत का एहसास होता है। इसलिए, जो लोग हमारे साथ हैं, उन्हें प्यार करो, उनकी कदर करो, और उनके साथ हर पल को जी भर के जियो। क्योंकि कल किसने देखा है
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अलविदा मेरे जिगरी यार 💫🫂 |
Mr. Official ashish
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