मेरी पहली यात्रा खुशियों और यादों का सफर ♥️
मेरी पहली यात्रा खुशियों और यादों का सफर
7 March
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मेरी पहली यात्रा खुशियों और यादों का सफर ♥️ |
मेरी प्लानिंग हो रहीं थीं। बनारस जाने की इसलिए मैंने सोचा अपनी मैडम से पूछ लू की मेरे साथ चलेगी की नहीं पूछने पर पता चला कि वो चलेगी मेरे साथ उसने मम्मी से पूछा तो मम्मी ने भी हाँ कर दिया। मुझे अपनी मम्मी से झूठ बोलना प़डा। क्योकि मुझे घूमना था। |
और फाइनल हम लोगो की तैयारी हो गई निकलने की हम 3 लोग निकले थे। मैं मैडम और छोटी…..!!
7 March 2023 को शाम में ही निकलना था हमने बस की टिकट भी करवा ली थी लेकिन जानकारी ना होने से हम लोग की बस भी निकल गई थी जिसकी वज़ह से मेरे पैसे का नुकसान हो गया था मेरी मैडम के चाचा बोले कि तुम 8 को चले जाना यहा होली खेल लो उसके बाद निकल जाना शाम को क्योंकि वो पिछले साल भी घूमने चली गई थी उसने जब मुजे ये बताया तो हम बहुत गुस्सा करने लगे और बाद मे सोचा अकेले ही निकल जाऊँगा अगर कोई नहीं गया क्योंकि इधर मेरे घर पर सारी तैयारी हो चुकी थी मम्मी ने खाना बनाया था मेरे न जाने से सब वेस्ट होता सारा इंतजाम सारी तैयारी हो चुकी थी क्योंकि मुझे उसी दिन निकलना था रात 9 बजे की बस थी अगर आज हम निकलते नहीं तो बना हुआ खाना खराब हो रहा जो खुशी है आज जाने की वो भी बेकार मेरा दिमाग खराब हो गया मैं गुस्सा करने लगा उस पर थोड़ी देर में ही निकलना था और सायद निकलना कैंसल होने वाला था इसलिए मैंने सोचा वो नहीं गयी तो हम अकेले ही निकल जायेगे नहीं जाते तो मम्मी भी क्यों पूछती जा रहे क्या हों गया। ये वो….!
थोड़ी देर बाद उसका कॉल आया कि परेशान Mt हो हम निकल रहे है घर से लेकिन जो गुस्सा था मेरा वो शांत नहीं हो रहा था बहोत कॉल आयी मेरे पास लेकिन नहीं उठाया फिर इक लास्ट कॉल उठाया बोली हम घर से निकल रहे हैं उधर छोटी भी परेशान की भैया Please मेरे लिए चलिए तभी गुस्सा शांत हो गया और हम नीचे आकर तैयार होने लगे सब समान पैकिंग किया और निकल लिया घर से। मम्मी रोने लगी तभी मम्मी को चुप कराया बोला परेशान मत हो हम आ जायेगे जल्दी इतना बोलकर घर से निकल लिया।
बाहर निकले रिक्शा किया घंटा घर के लिए मेरे पास बार बार कॉल आ रहा था उसका की निकले घर से कहा हो ये वो उसको बताया कि हम आ रहे है रास्ते में है वो पागलों की तरह बाहर वेट कर रहीं थीं जबकि उसको बोला था कि अंदर जाकर बैठना बस स्टैंड पर हम रास्ते में है 20 मिनट में हम बस स्टैंड पहुच गए फिर हम लोग बस में बैठ गए उसको दिक्कत ना हो इसलिए हम Ac बस मे बैठे। हम बहुत खुश थे क्योंकि मेरी लाइफ की ये पहली यात्रा थी।
छोटी विंडों शीट पर वो बीच मे और हम लास्ट में तीनों लोग साथ में बैठे थे थोड़ी देर बाद बस चली थोड़ी दूर बस चलि तो ऐसा लगा हम सपना देख रहे हैं क्योंकि ये हकीकत नहीं हो सकता था लेकिन हमने हकीकत मे कर लिया था..।
7 march रात में 10 बजे बस चली हम लोग रास्ते में बात करते हुए मस्ती करते हुए निकल लिए 6 घंटे का सफर करने के बाद हम लोग बनारस ( वाराणसी) पहुचे हम लोग की बस वाराणसी कैन्ट के पास रुकी हम लोग वहां उतरे वहां से हम लोगों को दशमेश घाट जाना था । क्योंकि वहां हम लोग को काशी विश्वनाथ के दर्शन करने थे ऑटो वाला 100 रुपये माग रहा था लेकिन वहां एक लड़का मिल गया जो कि हम लोगों को थोड़ा आगे ले गया और उसने ऑटो कराया 20 रुपये वहां से लिए दशमेश घाट के वहां पहुच कर हम लोगों ने घाट पर नहाया। उसके बाद काशी विश्वनाथ बाबा के दर्शन किए प्रसाद चढाया। और बाहर निकले। हम लोगों ने दर्शन किए लेकिन वहां रुके नहीं हम लोग वहां से बस स्टैंड आए। वहां दोनों ने खाना खाया जो मेरी मम्मी ने लगाया था पूरी और छोले की सब्जी दोनों ने खाया हम परेशान थे कि अब जाऊँ कहा क्योंकि शहर नया था और जानकारी भी नहीं थी और इधर कोई बस भी नहीं थी। हम लोग फिर स्टेशन गए सुबह का 10 बज रहा था हम लोग स्टेशन पहुचे वहां वेट करने लगे ट्रेन का लेकिन ट्रेन पूरी 5 घंटे लेट थी हम लोग वही स्टेशन पर बैठे रहे लकिन हम बहोत ही जादा परेशान थे थोड़ी देर वो देखती रही उसके बाद उसने बोला ( कुछ नहीं होगा क्यों परेशान हो रहे हूँ मैं हूं आप परेशान मत हो जो होगा देखा जाएगा) थोड़ी देर बाद हिम्मत आयी भूख बहोत लगी थी इसलिए हमने समोसे लिए खाने के लिए सबने समोसे खाए। और फिर ट्रेन का इंतजार करने लगे। हम लोगों को वाराणसी से निकलना था और विन्ध्याचल माता मंदिर जाना था । हम लोग की ट्रेन साम 6 bje तक आयी ट्रेन में हम लोग बैठे और विन्ध्याचल माता मंदिर के लिए निकल पड़े।
ट्रेन वैसे भी लेट थी हम लोग विन्ध्याचल स्टेशन ठीक 8:30 बजे रात को पहुचे। स्टेशन पहुचे वहां से हम लोग बाहर निकले सीधे विन्ध्याचल मंदिर पहुचे वहां माता जी के दर्शन किए मंदिर देखा उसके बाद हम लोगों ने होटल लिया और होटल में रात बिताया। सबको भूख लगी थी इसलिए मैं बाहर गया और खाना लेकर आया सबने खाना खाया हम लोगों ने थोड़ी बातें की ओर फिर सो गये सभी लोग।
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विंध्याचल स्टेशन |
अचानक सुबह मेरी आखें खुली टाइम देखा तो 7 बज रहा था मैं जल्दी उठा दोनों को जगाया। बोला उठो जल्दी टाइम देखो क्या हो गया है। दोनों उठी कपड़े लिए और दर्शन के लिए निकले। घाट पहुचे वहां नहाया दुकान से प्रसाद लिया और माता रानी के दर्शन किया थोड़ा मार्केट घूमे थोड़ा बहोत समान लिया सबको भूख लगी थी बहोत जादा इसलिए हम लोग रेस्टोरेंट गए वहां खाना खाया वहां खाने के बाद हम लोगों ने ऑटो लिया और माता सीता कुंड के लिए निकले। सीता कुंड के दर्शन किए और वहां से सीधा रूम पर आ गए। सभी लोग रूम में आकर चाय नास्ता किया और थोड़ी देर बात*चीत होती रहीं। हम लोगों का प्लान बन रहा था आगरा जाने का लेकिन दूरी ज़्यादा थी इसलिए वहां जाना कैंसल किया। और माता शारदा देवी मंदिर ( मैहर ) जाने का प्लान बना हम लोगों ने 7 बजे रूम छोड़ दिया और वहां से सीधा विन्ध्याचल स्टेशन आए। ट्रेन का इंतजार करने लगे। टिकट लेने गए। तो पता चला ट्रेन 11 बजे तक आयेगी।
हम लोग बैठे रहे थोड़ा खाना पीना खाया हम गए समोसे लेकर आए। सभी ने समोसे खाए। और बातचीत होती रहीं और ट्रेन का वेट करते करते रात के 12 बज गए। हम लोग परेशान होने लगे कि कब आएगी ट्रेन कब आएगी ट्रेन हमने जाकर पूछा तो पता चला ट्रेन 2 बजे तक आएगी। हम लोग और परेशान होने लगे। मेरी मैडम थोड़ी देर बाद पागलne लगी बेवजह चिल्लाने लगी कहने लगी चलो यहां से देखो इधर मर गया वो उधर मर गया मतलब बेवजह का पागलों वाली हरकते करने लगी। और हमे ये सब देखकर बहुत जादा हसी आ रही थी और उधर चोटी भी हस रही मतलब भूख के मारे इसका बुरा हाल हो रखा और ये बेवजह लोगो को मार डाल रही। हुआ ये की उसने कॉल पर सुना किसी को बात करते हुए तो वही उसके दीमाक में चलने लगा की कोई मर गया है स्टेशन में।
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मेरी पहली यात्रा खुशियों और यादों का सफर ♥️ |
उसको शांत किया और आराम से बैठाया हमने कहा देखो कोई नही मारा है अगर कोई भी स्टेशन पर मारा होता तो अभी हटकंप मच जाता लेकिन वो ये बात मानने को तैयार ही नहीं बहुत देर बाद वो उसको समझा पाए और शांति से बैठाया। बहुत परेशान की ट्रेन नही आ रही ट्रेन नही आ रही हम उठ कर गए एक पुलिस वाला था उससे पूछा तो उसने बताया की ट्रेन थोड़ा लेट आएगी फाइनली 3:30 बजे रात को ट्रेन आई समझ नही आया कहा बैठे क्योंकि पूरी ट्रेन ac थी और ट्रेन भी काफी आगे निकल चुकी थी इसलिए हम लोग को सबसे पीछे लास्ट में बोगी मिली और वहा इतनी ज्यादा भीड़ जिसका कोई जवाब नही लेकिन उसने इतनी भीड़ में भी अर्जस्ट किया इक कोने में बैठ गई और आराम करने लगी।
मैडम को नीद नही बर्दास्त थी पूरे रास्ते सोई ट्रेन में भी सोती रही और फाइनल हम लोग 8 बजे सुभा माता मैहर स्टेशन पहुंचे। वहा गए तो वासरूम मिल गया वहा मैडम ने नहाया चोटी ने नहाया और हम लोग फिर मंदिर के लिए निकले और मंदिर हम लोग 9 बजे सुबह तक पहुंच गए और फिर हम लोग को चढ़ाई शुरू हुई माता मैहर देवी की ( मां शारदा देवी) और ये इतनी पागल चढ़ाई कर रही है और सो रही नीद में लेकिन पूरी चढ़ाई चढ़ी और लास्ट में बीच में हम दोनो साथ में बैठे। हमारी छोटी एकदम सबसे ऊपर पहुंच गई। और दर्शन भी कर लिए हम लोग बीच में ही बैठे रहे थोड़ी देर बाद उठे हाथ पकड़ा मैडम का और चढ़ाई शुरू किया । और इधर छोटी हम लोग से आगे निकल गई और परेशान होने लगी क्योंकि हम लोग मिल नही रहे थे चोटी ने फोन लेकर किसी का कॉल किया पता चला वो २०० सीडी नीचे उतर आयी है छोटी बहुत परेशान हो गई थी रोने लगी थी उसे लगा अब हम लोग नही मिलेगे खो गए है हम और ज़्यादा परेशान क्योंकि छोटी कही चली गई तो हम तो पागल ही हो जाते लेकिन थोड़ी देर बाद छोटी mil गयी थी मेरे पैर बहुत दर्द हो रहे थे क्योंकि मेरा बैग और साथ में मैडम का बैग। हम लोग सबसे ऊपर पहुंच कर इंतजार करते रहे इतनी भीड़ थी की हम लोग को दर्शन भी नही मिल पाए । भूख भी बहुत लगी थी इसलिए हमने दर्शन नही किए और चल दिए नीचे की ओर थोड़ा सा नीचे उतरे तो इक बेंच पर सभी लोग बैठे नमकीन वागेरा खाया वहा पर ( चने लिए मैंने बहोत ही अच्छे लगे खाने में सभी ने खाए और सभी को वो चने बहोट अच्छे लगे कच्चा चना और उसमे मिर्जी वगेरा मिला कर मतलब बहौट ही ज्यादा टेस्टी था उन चनो का टेस्ट ही अलग था )।
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माता शारदा देवी मंदिर ( मैहर ) |
फिर हम लोग धीरे धीरे नीचे उतरे थोड़ा बाहर आए नाश्ता किया लेकिन मुझे बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा की मेरी मैडम को नीद आ रही थी और मैं छोटी को मार्केट घुमाना चाहता था और वो घूमना चाहती थी मार्केट लेकिन मैडम की वजह से मार्केट नही घूम पाए और सीधा हम लोगो को स्टेशन आना पड़ा।
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माता शारदा देवी मंदिर ( मैहर ) |
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माता शारदा देवी मंदिर ( मैहर ) |
स्टेशन आए मैडम चार्जर नही ले गई थी फिर गए चार्जर लेने गए। स्टेशन के बाहर निकले तो वह प्रदर्शनी लगी थी हम छोटी के साथ आए थे उनको स्टेशन पर छोड़ दिया था कहे यही बैठो कोई दिक्कत हो हमे कॉल करना। और हम छोटी के साथ बाहर आ गए थे हम और छोटी वही प्रदर्शनी के अंदर चले गए। वहा अंदर से हमने इक पानी की बॉटल ली। छोटी को कपड़े दिलाना चाहता था लेकिन छोटी को पैंट ही दिला पाया। छोटी रिंग लेना चाहती थी बाली लेना चाहती थी लेकिन उसे पसंद नही आया य उसने जान बूझकर नही लिया हम कुछ कह नहीं सकते लेकिन याद के लिए हमने उसको पैंट दिलाया था।
और अच्छी बात मेरी पसंद छोटी को भी पसंद आई। उसे बहुत जाड़ा अच्छी लगी पैंट बाहर निकल कर फिर हम लोगो ने चार्जर लिया और सीधे स्टेशन आ गए।
स्टेशन आकर थोड़ी देर फोन लगाया सोचा टिकट ही देख ले जाकर टिकट लेने गया तो पता चला ट्रेन आने वाली है। टिकट लिया और हम मैडम के पास आ गए 15 मिनट बाद ट्रेन आ गई। ट्रेन आई हम लोग जल्दी से बैठे ट्रेन में हम लोगो को शीट मिल गई थी तो 4 घंटे का सफर अच्छे से निकल गया मैडम ने सोते हुए सफर किया छोटी भी थोड़ी देर बाद सो गई थी। मेरा फर्ज था इसलिए हम जगते रहे और देखभाल करते रहे दोनो की क्योंकि पूरी जिम्मेदारी थी दोनो की कही कुछ हो न कुछ भी शायद इसलिए मैं सोया कम और देखभाल जदा करना पड़ी।
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मेरी पहली यात्रा खुशियों और यादों का सफर ♥️ |
फाइनली हम लोग 4 घंटे का सफर करने के बाद (इलाहाबाद) पहुंच गए हम लोग इलाहाबाद में प्रयागराज स्टेशन पर हम लोगो की ट्रेन रुकी और वही हम लोग उतरे वहा स्टेशन देखा जहा लोग बैठे थे थोड़ी देर चलने के बाद हम लोग वहा पहुंचे और इक बेंच पर तीनों लोग बैठे क्योंकि रात के 8:30 बज रहे थे। हम लोगो को रात वही स्टेशन पर बितानी थी इसलिए ताकि पैसे बच जाए। होटल के भूख भी लगी थी तो छोटी को और मैडम को लेकर रेस्टोरेंट गए तो वहा कुछ था नही खाने को। इसलिए वहा से ऐसे ही आना पडा। दोनो को बोला तुम लोग स्टेशन पर रुको हम बाहर देख रहे है कुछ खाने को। बाहर जाकर देखा तो कुछ था ही नही जो था वो भी खत्म होने वाला था। बिरयानी का ठेला इक लगा था थोड़ी सी बिरयानी ली समोसे मिल गए थे गर्म वो ले लिए थे क्योंकि छोटी बहुत भूखी थी। वहा पर यही मिला और कुछ था भी नही जो हम लेते लेके आए छोटी ने तो बिरयानी खा ली जैसी भी हो हमने भी थोड़ी बिरयानी खा ली और 2 समोसे खा लिया लेकिन मेरी मैडम को खाना ही नही था शायद अच्छी भी नही थी बिरयानी जबरदस्ती खिलाया तो खाया उसने। खा पीकर सभी लोग लेट गए और थोड़ी देर के लिए सो गए।
शुभा हम लोग की आखें 6 बजे खुली हम उठे तो देखा सब सो ही रहे है। मैं उठा चाय लेके आया इक अपने लिए और इक मैडम के लिए मैडम ने तो चाय नही पिया क्योंकि अच्छी नहीं थी हमने चाय पिया। फिर ब्रेश किया छोटी को उठाया। उसने ब्रेश किया और स्टेशन के बाहर निकले। संगम घाट के लिए हम लोग निकले।
फाइनली 7 बजे हम लोग घाट पहुंच गए थे। घाट पहुंचे वहा संगम नहाया। भूख लगी थी सबको थोड़ी दूर आए ब्रेड पकौड़ा खाया। थोड़ी दूर पर ही इक किला बना हुआ था। किला के अंदर गए तो देखा सभी लोग बैठ कर कुछ खा रहे है। इसलिए हम लोग वही बैठ गए। थोड़ी दारमोट खाया सबने वही पर पातालपुरी बाबा का मंदिर था। छोटी तो थक गई थी तो वो वही बैठी रही हम और मैडम मंदिर के अंदर गए। दर्शन किए बाबा के फिर किला घूमे मैडम के साथ वहा राम सीता का पेड़ लगा था अंदर गए । फिर बाहर आए छोटी के पास छोटी भी मंदिर के अंदर जाना चाहती थी लेकिन वो नही गई ये बोला की आपलोग घूम आए ठीक है। थोड़ी देर हम लोग वही बैठे रहे फिर निकलना पड़ा क्योंकि बस थी 11 बजे की। इसलिए पातालपुरी बाबा के दर्शन करके हम लोग बस स्टैंड आ गए।
हम तीनों लोग बस में सबसे पीछे वाली सीट मिल गई थी उसी में बैठ गए क्योंकि सफर 4 घंटे का था मेरी मैडम को तो पहले से ही नीद लगी थी बस में बैठने के बाद वो सो ही गई मेरे कंधे पर सर रखकर 4 घंटे का सफर था इसलिए बस ने इक स्टॉप लिया था ताकि जो खाना पीना चाहते है खा पी ले बस रुकी तो हम उतरे सोचा कोल्डड्रिंक ले लू लेकिन थी ही नहीं समोसे बन रहे थे तो हमने थोड़ा इंतजार कर लिया और फिर समोसे लिए समोसे खाए सबने और फाइनल हम लोग 2 घंटे में कानपुर बस स्टैंड पहुच गए।
बस स्टैंड उतरे थोड़ा मेरा सामन था जो मैडम के बैग में था और इक माँ विन्ध्याचल माता की फोटो थी फोटो कांच की थी। हमने जल्दबाजी में बैग में हाथ ड़ाला तो फोटो का कांच टूटा हुआ था। मेरे हाथ की उंगली में लग गई। और बहुत जादा ब्लड आया व्हाइट रुमाल था जो खून से पूरा लाल हो गया था। लेकिन खून नहीं बंद था फिर उसी रुमाल को हमने उंगली में लपेट लिया ताकि और ब्लड न निकले। मुझे ऐसा लगा कोई गलती हो गई है जिसकी वज़ह से इतना ब्लड निकला।
शायद जब मैं इलाहाबाद रेल्वे स्टेशन में आया था रात के शायद 8 बज रहे थे छोटी या मेरी मैडम बैग के ऊपर लेट गई थी। शायद तभी फोटो का कांच टूटा होगा। या फिर और कोई गलती हुई होगी जिसकी वज़ह से इतना ब्लड निकला
मेरी यात्रा…….!!
मेरी लाइफ ( जिदगी ) की ये पहली यात्रा है। जोकि मैंने अपनी पूरी जिदगी सोचा नहीं था कि मैं घूमने जाऊँगा कहीं भी। और ये नहीं सोचा कि मैं अपने प्यार के साथ घूमने जाऊँगा। मतलब मैं जिससे प्यार करता हूं उसके साथ घूमने जाऊँगा। और उसकी मम्मी ने भी मेरे साथ जाने को बोल दिया। और सबसे अच्छी बात है साथ में उसकी बहन भी गई। जिसे मैं प्यार से छोटी बोलता हूं और कभी कभी Didi साथ में घूम कर और इतना समय बीता कर मुझे बहोत ही जादा अच्छा लगा। मेरी लाइफ की ये बहुत ही शानदार Journey थी। और 4 दिन बाहर घूम के और उसके साथ वक़्त बीता कर मुझे ये मालूम हुआ।
लाइफ में बस थोड़ा सा पैसा हो और साथ में घूमने वाली पार्टनर हो तो जिंदगी जीने का मजा ही और होता है। जो मुझे उसके साथ घूम कर पाता चला। और इक चीज बहोत बुरी लगी मैडम की। वो थकने के बाद एकदम loose हो जाती है। और मेरे साथ पूरे रास्ते सोती रही 🙂 अजीब प्राणी है
घूमने में जो मजा आया। 4 दिन माइंड फ्री टेंशन कोई भी नहीं बस साथ में वो और जिंदगी हसीन।
4 दिन में ये तो एहसास हो गया कि काश मेरी भी इक छोटी बहन होती
क्योंकि छोटी ( दीदी ) के साथ रह कर ये पता चला बहन होना भी जरूरी है। क्योंकि बिना बहन के जिदगी अधूरी ही रहती है। 😒
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मेरी पहली यात्रा खुशियों और यादों का सफर ♥️ ( Choti ) |
Story credit... Self ✍️📖
Written By.. Official ashish ✍️
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